Tuesday, December 21, 2010

वास्तु शास्त्र के प्रमुख सिद्धांत व वास्तु दोष दूर करने के सरल, लाभकारी उपाय....!!

हमारी सनातन परम्परा सदा सर्वदा से ही अति समृद्ध और जन कल्याण भाव से परिपूर्ण रहा है | हमारी पारम्परि ने हमे सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के साथ वसुधैव कुटुम्बकम का पाठ पढाया है | जहाँ सभी प्राणी इस सृष्टि में मिल कर सध्भावना से रह सके | इसके लिए जीवन के लाभ लेने के लिए कुछ सूत्र भी दिए | ज्योतिष, वास्तु शास्त्र , कर्मकांड , पूजा पाठ , तंत्र - मंत्र विधान इसी कारण अस्तित्व्य में आये , जिनका यदि सदी उपयोग किया जाये तो हमारी जीवन आसान और कस्ट मुक्त हो सकती है | आप सभी के जीवनोपयोगी कुछ वास्तु सूत्र यहाँ दे रहा हूँ | आशा है आप इसका पूरा लाभ लेंगे |

१ - भवन का प्रवेश द्वार सदा ही प्रमुख रहा है | इसका वास्तु सम्मत होना किसी भी परिवार के लिए आवश्यक है | भवन के उत्तर व पूर्व में मुख्यद्वार व खिड़कियाँ रखना, ढाल रखना और खुला रखना शुभ होता है जिससे भवन में धनागमन का मार्ग प्रशस्त होता है। भवन का मुख्यद्वार अन्य द्वारो से बड़ा, सुंदर, भव्य और सुसज्जित होना भी आवश्यक है |
२- यदि अंडरग्राउंड टेंक की व्यस्था करनी है तो उत्तर पूर्व का कोना प्रमुख है और पानी की टंकी ( ओवर हेड टेंक ) रखने के लिए उत्तर पश्चिम (व्याव्य) शुभ है | जिसका जल प्रयोग में लेना हर प्रकार से शुभता दायक होता है |
३- भवन के दक्षिण और पश्चिम दिशा को सबसे ऊंचा, भारी और दीवारे मोटी रखने से आय में वृद्धि,राजनितिक सफलता, व्यय, रोग और नकारात्मक उर्जा पर नियंत्रण बना रहता है।
४-  भवन का मध्य भाग जिसे ब्रह्मस्थान कहते है उसे खुला व साफ़ सुथरा और वहा  एक तुलसी का पौधा रखने से परिवार में सभी सदस्य समृद्ध रहते है और शुभ उर्जा का संचार होता है |
५- स्वागत कक्ष उत्तर में रखना लाभकारी होता है |
६- परिवार के प्रमुख, वरिष्ट व्यक्ति का स्थान घर के दक्षिण पश्चिम में होने से उसका नियंत्रण व्यापार और परिवार पर बना रहता है |
७- घर के बच्चो का स्थान घर के उत्तर पूर्व दिशा में होना और विवाह योग्य कन्या का उत्तर पश्चिम के कमरे में स्थान होना विवाह बाधा दूर करने के लिए आवश्यक है |
८- भवन में पूजा स्थान इशान कोण उत्तर पूर्व होनी ज़रूरी है |
९- भवन में भवन में रसोई दक्षिण पूर्व के कोने में होनी चहिये जिसमे रसोई बनाने की व्यस्था पूर्व की तरफ हो |
१०- भवन में शौचालय और स्नानागार की व्यस्था भवन के दक्षिण पश्चिम दिशा में होनी चहिये |
११- घर के गत आत्माओ, स्वर्गीय परिजनों के चित्र दक्षिणी दीवार पर दक्षिण पश्चिम कोने में लगाने से उनका आशीर्वाद मिलता है और कृपा बनी रहती है उसके साथ साथ बुरी आत्माओ से भी परिवार की रक्षा होती है |
कुछ लाभकारी उपाय -
१- मुख्यद्वार के ऊपर गणपति स्थापित करने से घर में सभी प्रकार की सुख सुविधा रहती है और परिजनों की सुरक्षा किसी भी  उपरी बाधा, नज़र, टोटके से होती है।
२- घर में यदि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक है तो नियमित समुद्री नमक युक्त पानी का पौंछा लगाना चाहिए। और गुलक की अगरबत्ती लगाना शुभ उर्जा के संचार में वृद्धि करता है |
३- भवन के उत्तर दिशा  में चमेली के तेल का दीपक जलाने से लक्ष्मी का आकर्षण और धन लाभ होता है।
४- भवन के उत्तर पूर्व में हरे, लाल कांच की बोतलों में जल भरकर चौबीस घंटे तक रक्खे तथा इस जल का सेवन एक दिन पश्चात करने से घर वालों का स्वस्थ उत्तम रहता है और आत्मविश्वास में विर्द्धि होती है।
५-उत्तर  पूर्व में या मुख्या प्रवेश द्वार के निकट निकलते समय बाये हाथ की तरफ हो ऐसी स्थिति में फिश एक्वेरियम ( मछली घर ) रखें। ऐसा करने से धन लाभ होता है।
६- संध्या कालीन समय में सम्पूर्ण घर में कपूर आरती करने से नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है और वास्तु दोष दूर होते है।
७- घर में नित्य गोमूत्र  का छिडकाव करने से या पंचगव्य ( दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र ) का लेप करने से सभी प्रकार के वास्तु दोषों से मुक्ति मिलती है और घर की उर्जा शुद्ध, पवित्र होती है |
८- व्यापार वो बंधन मुक्त रखने के लिए और किसी भी नज़र आदि से बचाव के लिए व्यापारिक प्रतिष्ठान या कार्यालय के प्रमुख द्वार पर एक काले कपडे में फिटकरी बांधकर लटकाने से और नीबूं व हरी मिर्च लटकाने से नजर नहीं लगती व्यापर अच्छा चलता है और निरंतर वृद्धि होती है होती है।
९- प्रतिष्ठान व भवन के मुख्य द्वार में आम, पीपल, अशोक के पत्तों का वंदनवार लगाने से वंशवृद्धि और धनवृद्धि होती है |
१०- घर के उत्तर पूर्व में जल क्षेत्र में वृद्धि करने से या पूजा स्थान में गंगा जल रखने से घर में सुख समृद्धि, सौहार्द का वातावरण बना रहता।
११- भवन या व्यापारिक प्रतिष्ठान में यदि कही वास्तु दोष ज्ञात हो तो उस स्थान के निकट आथवा आस पास रोली, हल्दी से स्वस्तिक चिन्ह बनाना वास्तु दोषो में कमी लाता है |
१२- ग्रह जन्य या वास्तु जन्य अथवा किसी भी समस्या के निवारण हेतु पीपल के पेड़ में दूध, जल, गुड मिश्रित द्रव्य अर्पित करने तथा धुप, दीप ,नैवध आदि से पूजा करने से श्री वृद्धि के साथ सभी पापो का नाश होता है तथा यश की वृद्धि होती है |
१३ - भवन में यदि दोनों प्रहर की संध्या आरती में शंखनाद करने से ऋणायनों में कमी होती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
१४- घर के आँगन में सदा ही तुलसी का पौधा होना आवश्यक है जो कर को शुभ उर्जा प्रदान कर नकारात्मक उर्जा को समाप्त करता है |

इस प्रकार इन कुछ सरल उपायों को करने के बाद कोई भी व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध कर सकता है | इसके साथ साथ नियमित किसी भी देवी - देवता की आराधना करना और अपने पितृ देवताओ के निमित्त कुछ नियमित दान करने से उनकी कृपा बनी रहती है और जीवन के कस्टो का निदान स्वत : ही होता है |

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