क्या आपके बच्चे कुसंगति, दुर्वसन के शिकार है ?
क्या आपकी संतान आपका कहना नहीं मानती ?
क्या आपकी संतान के संस्कार व आदते गलत हो गई है ?
क्या आपके घर में संतान की वजह से कलह, क्लेश, अशांति रहती है?
घर का वातावरण होगा शांत, मिलेगी सम्पन्नता....?
रामचरित मानस की एक चौपाई....बदल देगी बुरी आदते....मिलेंगे उत्तम संस्कार....
|| कौन सुकाज कठिन जग माहि | जो नहीं होत तात तुम पाहि ||
इस चौपाई को घर का बड़ा व्यक्ति या संतान की माता जाप करे, यदि इस चौपाई का सुन्दरकांड के साथ सम्पुट पाठ किया जाये तो चाहे कितनी ही पुरानी गलत आदत, गलत संगत हो...सारे बुरे संस्कार, बुरी आदते चालीस दिन में चली जाती है |
सर्व प्रथम हनुमान जी की एक फोटो या मूर्ति अपने समक्ष स्थापित करे, उन्हें गुड चने, शहद - मुनक्का भोग लगा कर सिंदूर, चमेली का तेल अर्पित करे |
हाथ में जल, पुष्प, अक्षत, एक रूपये का सिक्का, एक खड़ी सुपारी लेकर मन में जो भी इक्षा है या जिस कार्य के लिए करना चाहते है उसे संकल्प स्वरुप कहना चाइए | उसके बाद इस चौपाई का जाप या सम्पुट पाठ करे | पाठ या जाप के बाद हनुमान जी की आरती धुप, गुग्गुल से अवश्य करे और परिवार के सदस्यों में प्रसाद का वितरण कर स्वयं ग्रहण करे |
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