आज के इस व्यस्ततम युग में अनेक माता पिता, अभिभावक अपनी कन्या के विवाह हेतु योग्य वर की तलाश में होते हैं लालायित व चिंतित रहते जिससे उसका आने वाला कल सुरक्षित हो सके और उसका भविष्य उज्जल रहे। किंतु आज के इस आती व्यसिक युग में कन्या के लिए उपयुक्त वर की तलाश कर पाना कदापि आसान नहीं | किसी भी कन्या के विहाह में अनेको प्रकार की कठनाई व बढाओ का सामना करना पड़ता है | कही कुंडली नहीं मिलती, तो कही मन व विचार नहीं मिलते या फिर कही दहेज रूपी असुर मुह बाये खड़ा रहता है | ग्रहों की अशुभ स्थति इनका प्रमुख कारण होती है जिनका निदान आप ग्रहों के उपाय अर्थात जाप , पूजा, दान , व्रत व अन्य वैदिक अनुष्ठान के माध्यम से स्वयं कर व किसी योग्य कर्मकांडी से भी करा सकते है इसी कड़ी में माँ मंगला गौरी अर्थात माँ पार्वती की आराधना प्रमुख होती है | शिव गौरी के पूजन से और उनकी कृपा से कोई भी जातक शीघ्र विवाह के बंधन में बंध सकता हैं ।
जिन किसी कन्या के विवाह में बाधा हो उन्हें किसी योग्य ब्रह्मण से अपने घर में माँ मंगला गौरी की प्राण प्रतिष्ठा करा कर उनकी नियमित अराधना करना चाइये और नित्य प्रात: स्नान आदि से निर्वित्त हो कर मंगला गौरी स्तोत्र का नियमित पाठ करना चमत्कारिक लाभ देने वाला होता है |
कुछ विशेष अनुष्ठान
श्रावण मास के पहले दिन अपने घर के पूजन स्थल पर शिव व गौरी की प्रतिमा को स्थापित करे।
पूरे मॉस नियमित रूप से शिव व गौरी का पंचोपचार पूजन तथा कुछ भोग अर्पित करें। तत्पश्चात पुष्प - बिल्वपत्र अर्पित करें व निम्न मंत्र की एक माला का जप करें।
मंत्र -
हे गौरी शंकर अर्धागिंनी यथा त्वं शंकर प्रिया
तथा माम कुरू कल्याणी कान्त कान्ता सुदुर्लभम् ।।
इस उपाय को पूरी श्रृद्धा के साथ करने से विवाह में बाधाएं नहीं आती और शीघ्र विवाह हो जाता है।
इसी के साथ यदि कोई भी कन्या गोस्वामी तुलसीदास कृत पार्वती मांगल्य का पाठ करती है तो भी विवाह बाधा दूर हो कर एक उच्च वर की प्राप्ति होती है |लोक परम्परा अनुसार बृहस्पति गृह के निमित्त गुरूवार को कुछ दान करना भी विवाह बाधा को दूर करता है |कन्या को पीले वस्त्र का प्रयोग व एक पुखराज धारण करना तथा गुरूवार को कदली (केले) के वृक्ष में जल अर्पण करें। केले के वृक्ष के नीचे 210 माला (21000 जप) करें।
केले के पेड़ की अराधना करना बृहस्पति व्रत कथा का निष्ठापरक पाठ करना विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना शीघ्र लाभ दिलाता है |
बृहस्पति के वेदोक्त मंत्र का जप 76000+7600 दशांश सहित करें
।
पुराणोक्त मंत्र जप 76000+7600 दशांश सहित करें, कार्य शीघ्र आतिशिघ्र होगा ।
सूर्यास्त के समय गुरु का दान पीला वस्त्र सवा मीटर, चना दाल 1250 ग्राम, स्वर्ण 1 ग्राम दान,कड़ी हल्दी की गांठ, एक जोड़ा जनेऊ, कोई भी धार्मिक पुस्तक मंदिर में या ब्राह्मण को दें।
श्रीराम स्तुति (श्रीरामचंद्र कृपाल भजमन) का नित्य पाठ कर आरती करें।
इसी प्रकार दुर्गा शप्तशती में माँ को प्रसन्न कर हर प्रकार के कार्य सिद्धि के उपाय व मंत्र बताये गए है, जिन्हें भली बहती जान कर करने से कोई भी उसका लाभ ले सकता है | ऐसे में माँ भगवती दुर्गा के
कात्यायनी स्वरुप की पूजा 21 दिन कर निम्न मंत्रों का जप करें |
कात्यायनी महामाये महायोगिन्य धीश्वरी। नंद गोप सुतं देवी पतिं मे कुरुते नम:।
शास्त्रों में वर्णित कात्यायनी देवी का अनुष्ठान बड़ा ही उपयोगी व सिद्धिप्रद होता है।इस मंत्र का अनुष्ठान नियम व श्रद्धापूर्वक करने से कन्या के विवाह में आनी वाली समस्या या विघ्न शीघ्र ही दूर हो जाता है व कन्या का विवाह सकुशल संपन्न हो जाता है।
जप की विधि: यह जप सूखे केले के पत्ते की आसनी पर बैठकर कमलगट्टे की माला से किया जाता है। जप के समय सरसो तेल का दीपक जलते रहना चाहिए। जिसको अनुष्ठान करना हो उसे पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए 21 दिन तक 41 हजार जप का पुरश्चरण करना चाहिए।यदि किसी कन्या के विवाह में मंगल दोष बाधक बन रहा है तो उसके अभिभावकों को चहिये के 41 दिन नियमित मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ कर |
इस प्रकार इन कुछ अनुभूत उपाय कर कोई भी कन्या या उनके अभिभावक कन्या के विवाह में आ रही बाधा का निवारण कर सकते है |
gud article...
ReplyDelete