Wednesday, September 29, 2010

मेरी पीड़ा मेरा मर्म......!!!

हमारा भारतवर्ष युगों युगों से अनगिनत अविष्कारों व अनुसंधानों का केंद्र रहा है | ज्योतिष भी उन्ही में से एक है | इस भारत भूमि में ऐसे विद्वान व यशस्वी ऋषि मुनि हुए है जिन्होंने इस मानव जाती के लिए खुद को तिल तिल जला के ऐसे अनुसन्धान किये जिसका आज कोई सानी नहीं | नक्षत्रो, ग्रहों, सूर्य, पृथ्वी आदि की गति पर आधारित कालगणना का वह आधार जिससे भूत, भविष्य, वर्तमान के गर्भ में केवल झाका ही नहीं जा सकता, बल्कि उनके दुष्प्रभावो को कम भी किया जा सकता है | आज उन सूत्रों पर पूरा विश्व बल्कि पश्चमी देश के वैज्ञानिक प्रमुखता से अनुसन्धान कर रहे है जिन्हें हमारे पुरातन ऋषि मुनियों ने बिना किसी यन्त्र अथवा मशीनों के केवल अपनी साधना द्वारा प्राप्त दिव्य चक्षुओ से खोज निकला | आज सम्पूर्ण विश्व विस्मृत है की ब्रह्मांडीय उर्जा का इतना सटीक आकलन कोई कैसे कर सकता है | हमारे इन पुरातन वैज्ञानिको (ऋषि - मुनियों) ने स्वयं को साधना में इस प्रकार ढाला था की उन्हें कोई सुख भोग की अव्याक्षकता नहीं थी | उन्होंने यह खोज अपनी आने वाली संतानों के जीवन को आसन व् सुखमय बनाने के लिए की थी, जिससे उनके बताये मार्ग पर चल कर हम परम धाम की प्राप्ति कर सके |

परन्तु आज हम उनके बताये हुए मार्ग पर कितना चलते है? जिन्होंने खुद को जला कर हमें हमारे जीवन को प्रकाशवान और सार्थक बनाने के सूत्र दिए, हम आज उन्हें कितना याद करते है? उनके प्रति हमारी क्या कृतज्ञता है ?

अगर हम इन शास्त्रों का और शास्त्रीय विधाओ का सही तरीके से अपने जीवन में उपयोग करे तो हम पुरुषार्थ चतुष्ण्य की प्राप्ति कर सकते है | ज्योतिष, योग और वास्तुशास्त्र यह कुछ ऐसे ही विषय है जिनका अनुसरण हमे दैनिक जीवन में करना चाहिये जिससे जीवन में आने वाली जटिल समस्यों का समाधान स्वत: ही हो जाये या उनका समाधान मिल जाये | आज के युग में ज्योतिष एक पाखंड माना जाता है | खाने कमाने का धंधा मात्र बन कर रह गया | लोगो को डरा धमका कर, उनके भविष्य के बारे में शशंकित कर उन्हें लूटा जाता है | ऐसा सिर्फ इस लिए हुआ के इस देश की धर्मभीरु जनता का विश्वास अपनी सभ्यता, संस्कार, अपने शास्त्रों पर अटूट रहा है और रहेगा | कुछ मुट्ठी भर लोभी व व्यापारी तथाकथित ज्योत्षियो ने इस परम पवित्र इश्वरीय कार्य को मलीन ही नहीं किया बल्कि इसकी गरिमा और भोली मासूम जनता के विश्वास को भी ठेस पहुचाई है | यह कलयुग के चरम पे होने का प्रमाण है | जो धर्म - आध्यात्म को एक बाज़ार और विश्वास को व ज्योतिष को क्रय - विक्रय अथवा मोल की वस्तु समझते है वो ये नहीं जानते इन ऋषि मुनियों का श्राप उनकी आने वाली कई पीढिया नस्ट कर सकता है | इश्वरीय सत्ता व मर्यादा का उलंघन कदापि उचित नहीं | इसके परिणाम गंभीर होंगे | ज्योतिष उतना ही सच है जैसे ये दिन और रात | इसका एक एक सूत्र और सिद्धांत हमारे जीवन को सम्पूर्ण बनाने में सक्षम है | अगर हमे अपने जीवन को सुख समृद्ध करना है तो इनका अनुसरण करना आवयशक होगा |

मेरी उन सभी लोगो से विनती है जो इस दिव्य कार्य में लीं है | आप इस कार्य को जितनी निष्ठा से व् सेवा भाव से करेंगे, आप को उतना ही फलित होगा | आज कल ज्योतिषी बंधू कही रत्न बेचते नज़र आ रहे है तो कही लोगो को दिग्भ्रमित कर यन्त्र या महंगे अनुष्ठान के लिए बाध्य करते व् गलत राय देते | इससे पूरी कौम का नाम बदनाम हो रहा है और हमारे शास्त्र कलंकित हो रहे है | किसी को मुर्ख बना के कुछ पैसे कमा लेना, कोई महानता नहीं है | यह आपको छनिक लाभ और सुख तो दे सकता है लेकिन आप का सर्वस्व्य ले सकता है | जीवन देवदोष से पीडित हो सकता है और उसका कोई उपाय नहीं | तो मित्रो ज्योतिष पुरातन काल से ही लोक सेवा का कार्य रहा है न की धनोपार्जन का आसान माध्यम | अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए कुछ दूसरा व्यापार करना बुरा नहीं है, ज्योतिष को लोक हित के लिए ही रहने दिया जाये तो अच्छा | एक ज्योतिषी होना समाज की कितनी बड़ी ज़िम्मेदारी का कार्य है उसे समझना नितांत अवाय्षक है | जब कोई यजमान आप के पास अपने जीवन की प्रमुख समस्या ले कर आता है या आप की सलाह, सुझाव व मार्गदर्शन पर अपने जीवन के महत्व्यपूर्ण निर्णय निर्धारित करता है तो किसी भी ज्योतिषी को चाहिये की यजमान को पूरी तरह संतुस्ट करे और उसे गलत राय दे कर पाप के भागिदार न बने |

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