Monday, August 9, 2010

स्वत्रंत भारत की कुंडली...एक विवेचना...!!!

हमारे भारत वर्ष को स्वत्रंत हुए आज ६४ वर्ष हो गए हैं | अगर भारत की कुंडली पर चर्चा करे तो भारत की कुंडली उसके स्वत्रंत्रता दिवस से बनाई जाती है | कुंडली विवरण - तिथि १५ अगस्त १९४७, समय रात्रि ००:००, स्थान दिल्ली | इससे वृषभ लग्न तथा कर्क राशि की कुंडली बनती है |

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यदि शास्त्रानुसार वृषभ लग्न की प्रकृति पर चर्चा करे तो हम पाते है की वृषभ लग्न का स्वाभाव बड़ा ही शर्मिला, शांति प्रिय, तमाम प्रकार के कष्ट सहने वाला, समझोता करने वाला, दबाव झेल कर भी कुछ ना बोलने वाला, मेहनती व संघर्षरत, पड़ोसियों द्वारा प्रताड़ित, सहज ही मित्र बनाने वाला, किसी के भी विश्वास में आ जाने वाला, भोले स्वाभाव वाला, शोषित व चुप रह कर समाज को ढोने वाला होता है, और यही सब गुण भारत की प्रक्रति व स्वाभाव को दर्शाते है | इसी प्रकार शास्त्रानुसार कर्क राशी की प्रकृति पर चर्चा करे तो हम पाते है की यह एक कुटिल व सफल राजनितिक, बात का धनि , चतुर स्वाभाव वाला होता है |

यदि वर्तमान गोचर से चर्चा करे तो, शनि - मंगल की पंचम भाव में कन्या राशी में युति स्थिति को भयावह व विस्फ्टक बनाती है | पंचम भाव ज्ञान व सुख का भाव होता है, अर्थात ज्ञान व सुख का कारक होता है | इन दोनों क्रूर व अति शत्रु ग्रहों की पंचम भाव में युति देश की गरीब, लचर, असहाय जनता के सुख में और भी कमी दर्शाती है | यदि मंगल निकट भविष्य में तुला राशि में जाता भी है तो परिस्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आने वाला | साथ ही साथ भारत की कुंडली कालसर्प दोष से भी ग्रसित है | जिसके कारण विकास की गति या तो धीमी व अवरुद्ध है, और भ्रष्टाचार, आराजकता, चोरी, बईमानी पुरे चरम पर है |

वक्री वृहस्पति की एकादश भाव में अर्थात आय भाव में स्थिति आय में कमी, आर्थिक नुकसान, धन का नाश व क्षय दर्शाता है | यदि वर्तमान दशा की चर्च करे तो सूर्य की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा घरेलु हिंसा, धार्मिक उन्माद, आन्तरिक सुरक्षा में कमी व खतरा, पडोसी राष्ट्रों से तनाव व कष्ट और राजनितिक उथल पुथल को दर्शाता है | कुल मिला कर यह कहा जा सकता है की आने वाला वर्ष भारत व भारत की जनता के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण, अस्थिरता से परिपूर्ण व आर्थिक अनिश्चितता से भरा होगा | wahi यह भी कहा जा सकता है की भारत के युवा वर्ग को अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर तो मिलेगा परन्तु सफलता हेतु कठिन परिश्रम की आवश्यकता होगी | साथ ही साथ यह भी अवश्य कहा जा सकता है की भारत की नीतियों को अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर समर्थन अवश्य प्राप्त होगा | परन्तु ठोस कदम व उचित सहयोग की कमी रहेगी | पिछले कई वर्ष की भांति कम वर्षा, लचर खेती से किसान बदहाल रहेगा | देश की गरीब जनता पर कर का बोझ और बढेगा | अभी भारत व भारत की जनता को अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर उचित सामान प्राप्त करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ेगा |

तृतीय भाव में पञ्च ग्रहा योग कदम कदम पर भारत व भारतीयों के संघर्ष को दर्शाता है | भारत व भारतीयों की व्यापारिक स्थिति दवादोल व संघर्षपूर्ण रहनेवाली है | इस काल में चोरी करने वाले, झूठ बोलने वाले, नीच कर्म करने वाले, दलाली करने वाले लोगो की भरमार होगी व उन्हें ही सफलता प्राप्त होगी | विद्याथियो को कठिन परिश्रम व एकाग्रता से अध्यन में जुटने की सलाह दी जाती है, क्योकि आने वाला समय भारत व भारतीयों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर और भी चुनोती पूर्ण व कठिन रहने वाला है |

2 comments:

  1. bahut khub panditjii,mazaa aa gaaya
    regards.LEUITENANT PRASHANT DWIVEDY

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